मन मे उठे हिलोर
रात चाँदनी चाँद की ,कालिंदी कर शोर !
देख नजारा ताज का,मन में उठे हिलोर !!
ज्यों चंदा की चाह में ,.पागल रहे चकोर!
त्यों साजन के साथ को,मन मे उठे हिलोर!!
आँखे मेरी हो गयी ,.मानो एक सराय !
जो भी आता है वही इनमे जाय समाय!!
रमेश शर्मा