Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2022 · 3 min read

मन में लगन होनी चाहिए।

ठेला चलाता हुआ एक बच्चा “आम ले लो, आम ले लो” ,चिल्ला रहा था। मैंने खिड़की से देखा और आम लेने पहुँच गई। दाम पुछते हुए मैंने उससे पुछा! “अरे तुम तो बड़े छोटे हो अभी। पढ़ते क्यों नहीं हो जो आम बेच रहे हो।” उसने झट से ठेले के एक तरफ से किताब निकाली और मुझे दिखाते हुए कहाँ, “देखो दीदी मैं पढ़ता हूँ। वो तो घर में अभी कोई कमाने वाला नहीं है, इसलिए मैं यह काम कर रहा हूँ।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “क्यों घर में कोई नहीं हैं? माँ – पापा कहाँ है?” उसने अपने चेहरे पर दर्द का भाव लाते हुए कहा “नही, नहीं दीदी माँ हैं और पापा कुछ साल पहले चल बसे। माँ कुछ वर्षो से बीमार हैं।पहले वह घर – घर जाकर काम करती थी और मैं स्कूल जाया करता था। माँ ठीक रहती तो मुझे काम नही करने देती। माँ अभी बीमार हैं इसलिए मैं काम कर रहा हूँ।” मैने उससे फिर पूछा ” क्या तुम्हें समय मिल जाता हैं पढने के लिए?” उसके तरफ से जो जवाब मिला, मैं वह सुनकर दंग रह गई। उसने कहा दीदी मन में लगन हो तो समय निकल ही आता हैं। जब ग्राहक नहीं होते है तब मैं अपने ठेले के बगल में बैठकर पढ़ता रहता हूँ। यह कहते – कहते उसने आम तौल कर मुझे पकड़ाते हुए कहा “यह लो दीदी आपका आम। मुझे आशिर्वाद भी दे दो दीदी। इस बार मेरी १०वीं की परीक्षा है। यह कहते हुए उसने पैसे ले लिए और ठेले को एक बार फिर आगे बढाते हुए ,चिल्लाने लगा आम ले लो,आम ले लो। उसके जाने के बाद भी मेरे मन में उसके द्वारा कही हुई एक-एक बात घुम रही थी। मैं बार – बार यह सोच रही थी की उस बच्चे में कैसा जोश, कैसा लगन था,जो उसके चेहरे पर एक अलग तेज दिखा रहा था। धीरे- धीरे कर इस बात को ६ साल बीत गया। मेरे दिलो -दिमाग से यह बात अब निकल चुकी थी, कि एक दिन बाजार में किसी ने मुझे प्रणाम करते हुए कहा पहचाना दीदी। मैं अभी याद करने की कोशिश ही कर रही थी। तभी उसने बोला “मैं वही लड़का हूँ ,आम बेचने वाला।” अब मुझे सब कुछ याद आ चुका था। मैने अपने चेहरे पर खुशी का भाव लाते हुए कहा “तुम तो बिल्कुल ही बदल गए हो ,पहचान मै ही नही आ रहे हो। अब क्या करते हो।” उसने बड़े साधारण तरीके से कहा “यहीं पर पुलिस विभाग में मैं अधीक्षक बन कर आया हूँ। आज किसी कारण वश मेरी ड्यूटी इस बाजार में लगी हैं।” मैं यह सुनकर अत्याधिक खुश हुई, साथ में हैरान भी। मुझे बार बार उसके द्वारा कहा हुआ वह कथन फिर याद आ रहा था जो उसने आम बेचते समय अपने बचपन में कहा था – ” मन में लगन हो तो, समय निकल ही आता हैं” और उसने आज इस बात को सार्थक करते हुए कहा “मन में लगन हो तो, समय मंजिल तक निश्चय ही पहुँचाती हैं। ” मुझे गर्व होता हैं अपने देश की भूमि और ऐसे बच्चे पर जो परिस्थिति के अनुरूप नहीं बदलता हैं ब्लकि परिस्थितियों को अपने अनुरूप बदल देता हैं।

~अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 169 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लिमवा के पेड़ पर,
लिमवा के पेड़ पर,
TAMANNA BILASPURI
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
कौन ये कहता है यूं इश्क़ में नया ठिकाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
..
..
*प्रणय*
சூழ்நிலை சிந்தனை
சூழ்நிலை சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
"लाजिमी"
Dr. Kishan tandon kranti
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
2801. *पूर्णिका*
2801. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन की विफलता
जीवन की विफलता
Dr fauzia Naseem shad
सभी फैसले अपने नहीं होते,
सभी फैसले अपने नहीं होते,
शेखर सिंह
यहां  ला  के हम भी , मिलाए गए हैं ,
यहां ला के हम भी , मिलाए गए हैं ,
Neelofar Khan
तन्हाई
तन्हाई
ओसमणी साहू 'ओश'
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सच तो रंग होते हैं।
सच तो रंग होते हैं।
Neeraj Agarwal
बिना साधना के भला,
बिना साधना के भला,
sushil sarna
# आज की मेरी परिकल्पना
# आज की मेरी परिकल्पना
DrLakshman Jha Parimal
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
Shweta Soni
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
Manoj Mahato
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..
Nasib Sabharwal
Nhà cái AB77 là nền tảng cá cược uy tín, chuyên nghiệp với đ
Nhà cái AB77 là nền tảng cá cược uy tín, chuyên nghiệp với đ
Ab77
सुबह -सुबह
सुबह -सुबह
Ghanshyam Poddar
घट -घट में बसे राम
घट -घट में बसे राम
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
नर जीवन
नर जीवन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
किससे कहे दिल की बात को हम
किससे कहे दिल की बात को हम
gurudeenverma198
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
अपनी अपनी बहन के घर भी आया जाया करो क्योंकि माता-पिता के बाद
Ranjeet kumar patre
भाईचारा
भाईचारा
Mukta Rashmi
अपने और पराए की पहचान
अपने और पराए की पहचान
Sonam Puneet Dubey
निरर्थक शब्दों में अर्थ
निरर्थक शब्दों में अर्थ
Chitra Bisht
Loading...