मन में लगन होनी चाहिए।
ठेला चलाता हुआ एक बच्चा “आम ले लो, आम ले लो” ,चिल्ला रहा था। मैंने खिड़की से देखा और आम लेने पहुँच गई। दाम पुछते हुए मैंने उससे पुछा! “अरे तुम तो बड़े छोटे हो अभी। पढ़ते क्यों नहीं हो जो आम बेच रहे हो।” उसने झट से ठेले के एक तरफ से किताब निकाली और मुझे दिखाते हुए कहाँ, “देखो दीदी मैं पढ़ता हूँ। वो तो घर में अभी कोई कमाने वाला नहीं है, इसलिए मैं यह काम कर रहा हूँ।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “क्यों घर में कोई नहीं हैं? माँ – पापा कहाँ है?” उसने अपने चेहरे पर दर्द का भाव लाते हुए कहा “नही, नहीं दीदी माँ हैं और पापा कुछ साल पहले चल बसे। माँ कुछ वर्षो से बीमार हैं।पहले वह घर – घर जाकर काम करती थी और मैं स्कूल जाया करता था। माँ ठीक रहती तो मुझे काम नही करने देती। माँ अभी बीमार हैं इसलिए मैं काम कर रहा हूँ।” मैने उससे फिर पूछा ” क्या तुम्हें समय मिल जाता हैं पढने के लिए?” उसके तरफ से जो जवाब मिला, मैं वह सुनकर दंग रह गई। उसने कहा दीदी मन में लगन हो तो समय निकल ही आता हैं। जब ग्राहक नहीं होते है तब मैं अपने ठेले के बगल में बैठकर पढ़ता रहता हूँ। यह कहते – कहते उसने आम तौल कर मुझे पकड़ाते हुए कहा “यह लो दीदी आपका आम। मुझे आशिर्वाद भी दे दो दीदी। इस बार मेरी १०वीं की परीक्षा है। यह कहते हुए उसने पैसे ले लिए और ठेले को एक बार फिर आगे बढाते हुए ,चिल्लाने लगा आम ले लो,आम ले लो। उसके जाने के बाद भी मेरे मन में उसके द्वारा कही हुई एक-एक बात घुम रही थी। मैं बार – बार यह सोच रही थी की उस बच्चे में कैसा जोश, कैसा लगन था,जो उसके चेहरे पर एक अलग तेज दिखा रहा था। धीरे- धीरे कर इस बात को ६ साल बीत गया। मेरे दिलो -दिमाग से यह बात अब निकल चुकी थी, कि एक दिन बाजार में किसी ने मुझे प्रणाम करते हुए कहा पहचाना दीदी। मैं अभी याद करने की कोशिश ही कर रही थी। तभी उसने बोला “मैं वही लड़का हूँ ,आम बेचने वाला।” अब मुझे सब कुछ याद आ चुका था। मैने अपने चेहरे पर खुशी का भाव लाते हुए कहा “तुम तो बिल्कुल ही बदल गए हो ,पहचान मै ही नही आ रहे हो। अब क्या करते हो।” उसने बड़े साधारण तरीके से कहा “यहीं पर पुलिस विभाग में मैं अधीक्षक बन कर आया हूँ। आज किसी कारण वश मेरी ड्यूटी इस बाजार में लगी हैं।” मैं यह सुनकर अत्याधिक खुश हुई, साथ में हैरान भी। मुझे बार बार उसके द्वारा कहा हुआ वह कथन फिर याद आ रहा था जो उसने आम बेचते समय अपने बचपन में कहा था – ” मन में लगन हो तो, समय निकल ही आता हैं” और उसने आज इस बात को सार्थक करते हुए कहा “मन में लगन हो तो, समय मंजिल तक निश्चय ही पहुँचाती हैं। ” मुझे गर्व होता हैं अपने देश की भूमि और ऐसे बच्चे पर जो परिस्थिति के अनुरूप नहीं बदलता हैं ब्लकि परिस्थितियों को अपने अनुरूप बदल देता हैं।
~अनामिका