* मन में आया एक ख्याल है *
* मन में आया एक ख्याल है *
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मन में आया एक ख्याल है,
किस्मत मुझ पर क्यों दयाल है।
हर पल हर दम तू रहे ख़फ़ा,
किन बातों का यूँ मलाल है।
रहते हो तुम क्यों बुझे बुझे,
चुभता रहता यह सवाल है।
जो भी देखा देखता। रहा,
दिल मे उठता पर बवाल है।
जब भी देखूँ चेहरा खिला,
हो जाता चित झट निहाल है।
छोटा सा है दायरा तिरा,
उस से बाहर भी ज़वाल है।
मनसीरत मन बाँवरा हुआ,
हर अवसर तेरी सँभाल है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)