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3 Mar 2023 · 1 min read

मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।

मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।
होकर बेखुद आँखों को मैं, चाँद दिखाया करता हूँ ।
बरसेगी वो खुशबू बनकर, इक दिन इस वीराने में-
साँझ-सवेरे दिल को अपने, यही बताया करता हूँ ।

अशोक दीप
जयपुर

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