* मन बसेगा नहीं *
गीतिका
~*~
बिना प्यार वह मन बसेगा नहीं।
इरादा सफल हो सकेगा नहीं।
जलाएं दिया है जरूरी बहुत।
तमस में कहीं कुछ दिखेगा नहीं।
सुनो सत्य छुपता नहीं जान लो।
कभी झूठ को पर लगेगा नहीं।
बिना चांद के चांदनी है कहां।
तमस जुगनुओं से मिटेगा नहीं।
उसे साथ अपने रखें क्यों भला।
बिना स्वार्थ जो साथ देगा नहीं।
करेंगे न फरियाद अब हम वहां।
जहां न्याय कोई मिलेगा नहीं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/११/२०२३