Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2018 · 1 min read

मन के हारे हार है मन के जीते जीत

सारा योरोप यूनान की फौजों से संत्रस्त था। अजेय समझी जाने वाली यूनानियों की धाक उन दिनों सब देशों पर छाई हुई थी और जिस पर भी आक्रमण होता वह हिम्मत हारकर बैठ जाता और अपनी पराजय स्वीकार कर लेता।

रोम के सेनापति सीजर ने देखा कि इस व्यापक पराजय का कारण लोगों में संव्याप्त आत्महीनता ही है जिसके कारण उनने अपने को दुर्बल और यूनानियों को बलवान स्वीकार कर लिया है। इस मनःस्थिति को बदला जाना चाहिए।

सीजर ने अपने देश की दीवार-दीवार पर यह वाक्य लिखवाया-‘‘यूनानी फौजें तभी तक अजेय हैं जब तक हम उनके सामने घुटने टेके बैठे हैं। आओ तनकर खड़े हो जायें।’’

इस वाक्य का रोम की जनता पर जादू जैसा असर हुआ । जमकर लड़ाई लड़ी गई और अजेय समझा जाने वाला यूनान परास्त हो गया।

*दोस्तों हमारे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है जब हम अपनी ताकतों को काम आँकते हैं और अपने आप को कमजोर समझने की भूल करते रहते हैं। हमें भी समय समय पर प्रेरणा की जरुरत होती है जो हमें फिर से अपना उत्साह पाने में मदद करती है और हमारे अंदर की शक्तियों को जागृत करने में मदद करती है।

Language: Hindi
338 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बाकी है...!!
बाकी है...!!
Srishty Bansal
ऐ वतन
ऐ वतन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उठ जाग मेरे मानस
उठ जाग मेरे मानस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
मन नहीं होता
मन नहीं होता
Surinder blackpen
2860.*पूर्णिका*
2860.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लुगाई पाकिस्तानी रे
लुगाई पाकिस्तानी रे
gurudeenverma198
मेरा देश महान
मेरा देश महान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
*पानी बरसा हो गई, आफत में अब जान (कुंडलिया)*
*पानी बरसा हो गई, आफत में अब जान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
नमः शिवाय ।
नमः शिवाय ।
Anil Mishra Prahari
इम्तिहान
इम्तिहान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मेरे अल्फ़ाज़ मायने रखते
मेरे अल्फ़ाज़ मायने रखते
Dr fauzia Naseem shad
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
कवि रमेशराज
49....Ramal musaddas mahzuuf
49....Ramal musaddas mahzuuf
sushil yadav
आओ मृत्यु का आव्हान करें।
आओ मृत्यु का आव्हान करें।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
Rj Anand Prajapati
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
मौज में आकर तू देता,
मौज में आकर तू देता,
Satish Srijan
बुढ़ापा हूँ मैं
बुढ़ापा हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जो चाकर हैं राम के
जो चाकर हैं राम के
महेश चन्द्र त्रिपाठी
Your Secret Admirer
Your Secret Admirer
Vedha Singh
आँखें
आँखें
लक्ष्मी सिंह
सबसे क़ीमती क्या है....
सबसे क़ीमती क्या है....
Vivek Mishra
लहू जिगर से बहा फिर
लहू जिगर से बहा फिर
Shivkumar Bilagrami
Struggle to conserve natural resources
Struggle to conserve natural resources
Desert fellow Rakesh
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
★ शुभ-वंदन ★
★ शुभ-वंदन ★
*प्रणय प्रभात*
Loading...