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5 Jan 2022 · 2 min read

मन के हारे हार और मन के जीते जीत

मन के हारे हार और मन के जीते जीत”
———————-
मानव की शक्ति का सबसे बड़ा पुंज उसका मन है।और इस संसार मे सबसे शक्तिशाली हमारा मन है।और मन की गति इतनी तीव्र है कि वह कुछ ही सेकेंड में ब्रम्हांड का भ्रमण कर लेता है।और यदि वह चाहेगा तो पूरे विश्व को जीत सकता है।यह मन हमारे पूरे जीवन का सबसे बड़ा सूत्रधार होता है।इसी मन से ही हमारा वर्तमान और भविष्य निर्धारित होता है।मन से ही हमारा पूरा जीवन संचालित होता है।बिना मन के हमारा जीवन एक पल भी आगे नही बड़ सकता है।हमारी जो इंद्रियां है मन से ही संचालित होती है।इन इंद्रियों का सबसे बड़ा सारथी हमारा मन होता है।हम अपने सारथी को नित प्रति यह आदेश करते रहें कि वह इंद्रियों को अच्छे भले बुरे कर्मो से भान कराता रहे।और यह प्रयास करता रहे कि हमारी यह इन्द्रियाँ अच्छे कर्मों की ओर ही प्रेरित होती रहे।और इस संसार मे शक्तिशाली वही व्यक्ति है जो अपने मन को स्वयं वश में कर लिया हो।जो स्वयं के इशारे से अपने मन को संचालित करता हो।
लेकिन ठीक इसके उल्टा यदि मन हमको अपने वश कर लिया है, जो मन के इशारे से चलता हो।तो ऐसा होना बड़ा खतरनाक स्थित है।व्यक्ति
यह तय नही कर पाता कि वह सही है कि गलत।गलत है फिर भी उसे सही लगता है।और यही स्थिति खतरनाक है।और यह स्थिति मानव समाज के लिए देश के लिए धर्म के लिए घातक हो सकती है।देश धर्म समाज को को यदि पतन होने से बचाना है तो हमे अपने मन को जितना होगा।मन को जीत गए तो पूरे संसार को जीत गए।और यदि मन से हार गए तो समझो पूरे संसार से हार गए अपने आप से हार गए।
और इसीलिए कहा जाता है कि-
“मन के हारे हार और मन के जीते जीत”
———-
रचनाकार-
अशोक पटेल”आशु”
व्याख्याता-हिंदी
शिवरीनारायण(छ ग)
9827874578

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 305 Views
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