मन के उद्गार (अनुज के लिए)
अनुज श्री. प्रबुद्ध कश्यप जी’ के बारे में मेरे मन के उद्गार:-
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लेखन के धनी आप, छोड़ते सभी पे छाप।
तूलिका प्रबुद्ध हाथ, लिखती कमाल है।।
ग़ज़ल हो या गीत हो, लिखने की रीत हो।
कश्यप हमेशा बस, करतें धमाल है।।।
अनुज आप है कमाल, जैसे हों लखनलाल।
पाकर के आपको ये, हृदय निहाल है।।
प्रेमील से प्रीत कर, अराति को जीत कर।
रूप महाकाल धर, दिखते बवाल है।।।
गुणों के हैं खान आप, सर्जक महान आप।
नाम अनुसार आप, लगते प्रबुद्ध है।।
सरल उर के स्वामी, नहीं दिखती है खामी।
सभ्य मनु शान्त चित्त, हृदय भी शुद्ध है।।।
अगर कोई छेड़ता, विनाश ही को हेरता।
महाकाल रूप धर, दिखते जी क्रुद्ध हैं।।
वाणी से मधु घोलते, बोल मधुर बोलते।
भाव व्यक्त करने में, भावना से बुद्ध है।।।
करता हूँ मनुहार, वैद्यनाथ जी के द्वार।
अनुज प्रबुद्ध जी तो, रहें खुशहाल ही।।
धन -धान्य परिपूर्ण, सुंदर सुखर गुण।
प्रेम – नेह से हमेशा, रहें मालामाल ही।।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’