मन के उदगार
उगा भी ना था सूरज और ज्यूँ की तंयूँ
पड़ी थी रजाइयाँ।
हुई नहीं थी सुबह के देने लगे सब क्रिसमस की बधाइयाँ।।
दोस्तों एकबार सोचकर तो देखिये के क्या आता है कोई गैरहिन्दू,
जब होती है हमारे दुर्गा पूजा पर्व, चैत्र नववर्ष
की तैयारियां।।
उगा भी ना था सूरज और ज्यूँ की तंयूँ
पड़ी थी रजाइयाँ।
हुई नहीं थी सुबह के देने लगे सब क्रिसमस की बधाइयाँ।।
दोस्तों एकबार सोचकर तो देखिये के क्या आता है कोई गैरहिन्दू,
जब होती है हमारे दुर्गा पूजा पर्व, चैत्र नववर्ष
की तैयारियां।।