“मन की बात” बनाम “जन की बात”
“मन की बात”ही जनता को है सुनाते
“जन की बात” पर आदरणीय कभी सामने नहीं आते
“मन की बात” का क्या करेगी जनता मेरे जनाब
“जन की बात” पर सरकार का हो जाता है दिमाग ख़राब
“मन की बात”के लिए कहां से इतना समय निकाल लेते हो
“जन की बात”का जब समय आता है तो आप टाल देते हो
“मन की बात “को बताने की सूचना का होता है ऐलान
“जन की बात ” में समस्या सुलझाने का नहीं है कोई प्लान
“मन की बात “”विकास के माडल “से ली गई है
“जन की बात “में न विकास है और न कोई माडल दी गई है
“मन की बात “वाले अपने ही मन की करते हैं
“जन की बात “वाले जनता के दु:ख-दर्द हरते हैं
“मन की बात ” से आता है लोगों को जोड़ना
“जन की बात “करने से पड़ता है अपना माथा फोड़ना
“मन की बात “करके कोई मन ही हर लेता है
“जन की बात “जब करता है तो अपना सिर ही धर लेता है
“मन की बात “का दिन, दिनांक, माध्यम सब ही है साधन
“जन की बात”करने के लिए कभी होता नहीं हमारे साहब का मन
“मन की बात”में होता नहीं”काम की बात”का भाव
“जन की बात”करे कोई तो आ जाता है क्षण भर में ताव
“मन की बात “से खोज रहे है हमारे सर समाधान
“जन की बात “करते तो समस्या को सुलझाने का आता नया सोपान
“मन की बात “पर अब लगा दीजिए पूर्ण विराम
“जन की बात “पर आइए अगले चुनाव में आयेगा यही काम
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की अलख से ओतप्रोत
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर,छ.ग.
“मन की बात “से प्रभावित मेरा सहज मन
मेरे इस जतन से मोदीजी का हो सके हृदय परिवर्तन