मन की प्रीती
तुमसे लागी मन की प्रीती , भूल गई मैं जग की रीती
तुमको सौंपी जीवन नैया , मेरे साथी सखा खिवैया ||
काहे छेड़त वंशी धारी , मटकी फोरत क्यों बनबारी
गोरी राधा मन को भावे , और कछू न मोहे सुझावे ||
तुमसे लागी मन की प्रीती , भूल गई मैं जग की रीती
तुमको सौंपी जीवन नैया , मेरे साथी सखा खिवैया ||
काहे छेड़त वंशी धारी , मटकी फोरत क्यों बनबारी
गोरी राधा मन को भावे , और कछू न मोहे सुझावे ||