मन की कसक
जब अपने सिर्फ अपनी कहें,
आपके बोलने को वह ,
आपकी सफाई पेशगी कहें,
तो मन में बातें रह जाती हैं,
मन में वह घर कर जाती है,
कांटो सी वह चुभती है,
मन को कसकर झकझोर कर,
मन ही मन में रह जाती हैं।
मन ही मन में रह जाती हैं।।।।
जब अपने सिर्फ अपनी कहें,
आपके बोलने को वह ,
आपकी सफाई पेशगी कहें,
तो मन में बातें रह जाती हैं,
मन में वह घर कर जाती है,
कांटो सी वह चुभती है,
मन को कसकर झकझोर कर,
मन ही मन में रह जाती हैं।
मन ही मन में रह जाती हैं।।।।