मन का मैल
—-लघुकथा # मन का मैल——-
घर की स्थिति अच्छी नहीं थी ।और मैं 7वीं क्लास में था लगभग! दिसम्बर माह की तिमाही की परीक्षा 3 दिन बाद ही थी।सरकारी स्कुल की पढाई तो ऐसे थी ,जैसे की बस हमपर कोई अहसान हो ।फीस थी 5:25 पैसा पर माह ।लायन्स क्लब वालो का डी ए वी स्कुल था।मेरे पापा जोकि मृत शैया पर थे ।बात 1992 की है मैं एक शादी से रात को आया था |पापा को अपने तकिये के नीचे 100 रूपये रखते देखा था | जब रात को 2 बजे शादी से आया तो मैंने देखा पापा एक साइड को गहरी नींद दवाई लेके सो रहे थे। दवाई इसलिए की 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया गया तो उस की वजह से एक शोर मचा था की मोमिन आ रहे है तलवारे लेकर के ! इस बात से सब इतना डर गए कि बाजार बंद होने लगे थे ।उस अफवाह की भगदड़ में मेरे प्यारे पाप अचानक लगे धक्के से एक पानी खीचने वाले हेडपम्प पर गिरे !जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में गुमचोट आई थी और उनके उस जगह पर टीवी बन गई थी !तब से वो बीमार होकर बिस्तर पर पड गए थे। लेकिन मैं तो बात कर रहा था ! कि मैने जो सौ रूपये रखे देखे थे !उस रात बाल सुलभ मन से ये सोचकर चुरा लिए बालमन था और पढ़ाई की वजह से चुराए गए पैसे वो सौ रुपये !की पास हो गया तो माफ़ी मांग लूंगा और मेरे प्यारे पापा मुझे माफ़ भी कर देंगे।पर वो चोरी मेरी पहली और आखिरी बन गई। रात को 2 बजे पैसे चुराए सुबह 6 बजे के पास मेरे पापा भगवान को प्यारे हो गये। मेरे को माफ़ी माँगने का मौका भी नही मिला मैं तो पितृ ऋण ऐसा ले बैठा था बस गुस्सा आ रहा था । क्यू अपने मन को मैला किया मैंने क्यों चोरी की और नतीजा मैं अपनी क्लास में फेल भी हुआ। ऊपर वाले ने मुझे सजा दे दी थी ।गंगा में नहाकर पाप तो धो सकते है पर मन का मैल कहा उतारूँ ? कोई मंदिर मस्जीद गुरुद्वारा हो तो बता देना जो मेरे इस मन के मैल को धो दे ?
आप सब के जवाब की प्रतीक्षा में कब धुलेगा मेरे मन का मैल?
आज तक वो कर्ज ही नहीं चुका पाया मैं उसकी कितनी ब्याज है मेरे पर बाकी कौन बताएगा कोई तो बताओ