मन का भाव
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जैसा भाव भरा हो मन में, अपना रंग दिखायेगा।
चुपके से दूजे के मन से, चुगली जा कर आयेगा ।।
स्वर ,वाणी फिर शब्द बदलते, बदला करती है भाषा ।
अच्छे सम्बंधों की तो फिर ,रखना मत मन में आशा ।।
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भाव समझ जिसके आया ।
फल मीठा उसने पाया ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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