Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2021 · 1 min read

मन करता है

दूर गगन की छाँव में जाने का मन करता है
जहाँ न कोई ज़रूरत थी न कुछ ज़रूरी था
बस, वहीं बस जाने को जी करता है !!!

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 373 Views

You may also like these posts

पाती कर दे
पाती कर दे
Shally Vij
धड़कनें थम गई थीं
धड़कनें थम गई थीं
शिव प्रताप लोधी
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दिल लगाया भी कहीं तो हुआ क्या
दिल लगाया भी कहीं तो हुआ क्या
Jyoti Roshni
ज़िंदगी को इस तरह
ज़िंदगी को इस तरह
Dr fauzia Naseem shad
तुम्हें आसमान मुबारक
तुम्हें आसमान मुबारक
Shekhar Chandra Mitra
सच्ची दोस्ती -
सच्ची दोस्ती -
Raju Gajbhiye
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
gurudeenverma198
क्यूं में एक लड़की हूं
क्यूं में एक लड़की हूं
Shinde Poonam
पतझड़ सिखाता है, मोह त्यागना। बिना मोह के जाने देना वाकई, कि
पतझड़ सिखाता है, मोह त्यागना। बिना मोह के जाने देना वाकई, कि
पूर्वार्थ
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
मेहमान
मेहमान
meenu yadav
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
शेखर सिंह
स्वयं से बात
स्वयं से बात
Rambali Mishra
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
आनंद प्रवीण
मैं  तेरी  पनाहों   में  क़ज़ा  ढूंड  रही   हूँ ,
मैं तेरी पनाहों में क़ज़ा ढूंड रही हूँ ,
Neelofar Khan
जिंदगी क्या है?
जिंदगी क्या है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वैसा न रहा
वैसा न रहा
Shriyansh Gupta
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
Manisha Manjari
धूप छांव
धूप छांव
Sudhir srivastava
তুমি শুধু আমায় একবার ভালোবাসো
তুমি শুধু আমায় একবার ভালোবাসো
Arghyadeep Chakraborty
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
Suraj kushwaha
.
.
*प्रणय*
मौत की दस्तक
मौत की दस्तक
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्रश्नचिन्ह...
प्रश्नचिन्ह...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
Shweta Soni
किसी के घर का चिराग़
किसी के घर का चिराग़
Sonam Puneet Dubey
बस इतनी सी चाह हमारी
बस इतनी सी चाह हमारी
राधेश्याम "रागी"
Loading...