Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Oct 2023 · 3 min read

मनोकामना माँ की

मनोकामना माँ की

नवरात्रि का पर्व चल रहा था। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती थी। सभी सामने से माता जी की स्नेहमय प्रतिमा के दर्शन कर, बहुत खुश हो रहे थे।
सप्तमी के दिन वनिता जी भी अपने बहू और पोते के साथ मंदिर गई थीं। सभी को अप्रतिम आनंद आ रही थी।सभी भक्तगण हाथ में दीया ले कर आरती कर रहे थे।भक्ति की लहर बह रही थी।
आरती समाप्त होने के बाद भजन कीर्तन पूजन प्रारम्भ हो गया था।लाउडस्पीकर पर सतत भजन कीर्तन वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे।
आरती के पश्चात माँ दुर्गा का आव्हान करके विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्नों का भोग लगाया गया। तत्पश्चात् पुजारी ने सभी भक्तों से कहा कि वे माता रानी से अपनी मनोकामना कहें और विनती करें कि वह शीघ्र हो पूर्ण हो। सभी भक्त मां के सामने आंखें बन्द कर हाथ जोड़ कर अपने मन की मनोकामना मन ही मन मां को सुनाने लगे।
वनिता जी ने जब देखा कि सभी आँख बंद किए हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रहे थे। तब वनिता जी भी आंखें बंद कर माता रानी से इन सबकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण करें।
लौटते समय बहू ने सुनीता जी पूछा ,’मम्मीजी आपने माता जी से क्या मांगा?’
ऐसे तो कुछ भी नहीं,पर सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो, साथ ही दुनिया भर के हर प्राणी के सकुशल जीवन, सुख समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल संसार का आशीर्वाद माँगा है। सुनीता जी ने बहू को बताया
बहू को बड़ा आश्चर्य हुआ, उसने सुनीता जी से क्या माँ जी मांगना ही था तो कुछ अपने और हम सबके लिए मांगना चाहिए था, लेकिन आप तो…….।
सुनीता जी ने बहू को समझाया दुनिया भर में हम तुम और हमारा परिवार भी तो है। अपने लिए तो सभी चाहते हैं औरों के लिए कौन मांगता है, लेकिन जब हम बड़ा दिल दिखाते हैं तो खुद को भी अच्छा लगता है। और तब अनगिनत लोगों की भावनाओं से हम अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ते हैं,जिसका प्रतिफल जो मिलता है,वो हमारे समझ में नहीं आता लेकिन उसमें अनजाने लोगों की बिना किसी दबाव या स्वार्थ के अनंत दुआओं का सम्मिश्रण होता है,जिसे मांग कर पाना असंभव है, शायद माता जी भी हमारी मांग पर उतना दे पाने में अस्मर्थ होतीं।
वनिता जी की बहू को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने कहा- आप जो कह रही हैं, वो मेरी समझ में नहीं आया, शायद माता जी की भी समझ में न आया हो।
ऐसा ही तो नहीं है माता जी भी हमारी मांग नहीं हमारी भावना देखती हैं, और उसी के अनुरूप ही कुछ देती हैं।आज जो कुछ भी तुम इस परिवार में देख रही हो वो सब उन दुआओं का परिणाम है जो माता जी की कृपा से हमें और हमारे परिवार को मिला है, तुम शायद विश्वास नहीं करोगी, माता जी के मंदिर में वर्षों से आना जाना है लेकिन मैंने आज तक अपने लिए कुछ नहीं मांगा। सिर्फ सबकी खुशहाली का ही विनय किया है।
वनिता जी की बहू के आश्चर्य से अपनी सास को किसी अजूबे की तरह देख रही थी, लेकिन उसके मुंह से बोल नहीं निकल पा रहे थे, क्योंकि उसे अपने मायके और ससुराल के स्तर का अंतर उसके सामने उत्तर बनकर खड़ा हो गया था।और तब तक वे गाड़ी के पास आ चुकी थीं। पोते ने गाड़ी में दादी को पकड़ कर गाड़ी में बैठने में मदद का उपक्रम किया, जैसे दादी की जिम्मेदारी उसी के ऊपर हो। वनिता जी बलिहारी नजरों से सांस और बेटे को देखती रही फिर उनके साथ ही गाड़ी में बैठते हुए ड्राइवर को चलने का आदेश सुनाया। गाड़ी रफ्तार से आगे बढ़ने लगी। उसके मन में सांस के लिए श्रद्धा का भाव हिलोरें मार रहा था। उसने सांस के कंधे पर अपना सिर रख दिया।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 105 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्वदेशी कुंडल ( राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' )
स्वदेशी कुंडल ( राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
We Would Be Connected Actually
We Would Be Connected Actually
Manisha Manjari
"तुम्हें याद करना"
Dr. Kishan tandon kranti
बदल गया परिवार की,
बदल गया परिवार की,
sushil sarna
टिप्पणी
टिप्पणी
Adha Deshwal
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
पसीने वाली गाड़ी
पसीने वाली गाड़ी
Lovi Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
Sometimes…
Sometimes…
पूर्वार्थ
कब तक अंधेरा रहेगा
कब तक अंधेरा रहेगा
Vaishaligoel
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
Dr Archana Gupta
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
Taj Mohammad
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
3103.*पूर्णिका*
3103.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिछले पन्ने भाग 2
पिछले पन्ने भाग 2
Paras Nath Jha
फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
हुकुम की नई हिदायत है
हुकुम की नई हिदायत है
Ajay Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Godambari Negi
ज़िंदगी, ज़िंदगी ढूंढने में ही निकल जाती है,
ज़िंदगी, ज़िंदगी ढूंढने में ही निकल जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सच्ची होली
सच्ची होली
Mukesh Kumar Rishi Verma
सेहत अच्छी हो सदा , खाओ केला मिल्क ।
सेहत अच्छी हो सदा , खाओ केला मिल्क ।
Neelofar Khan
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंतजार युग बीत रहा
इंतजार युग बीत रहा
Sandeep Pande
शायरों के साथ ढल जाती ग़ज़ल।
शायरों के साथ ढल जाती ग़ज़ल।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी रो आफळकुटौ
जिंदगी रो आफळकुटौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*नववर्ष*
*नववर्ष*
Dr. Priya Gupta
क्यों  सताता  है  रे  अशांत  मन,
क्यों सताता है रे अशांत मन,
Ajit Kumar "Karn"
जो ख़ुद आरक्षण के बूते सत्ता के मज़े लूट रहा है, वो इसे काहे ख
जो ख़ुद आरक्षण के बूते सत्ता के मज़े लूट रहा है, वो इसे काहे ख
*प्रणय*
खोट
खोट
GOVIND UIKEY
Loading...