मनु
मनु
जल से घिरे
हिमालय की चोटी पर बैठे
अकेले
मनु के लिए
निरर्थक है
भाषा
धर्म
सम्पति
पद , प्रतिष्ठा
सत्ता, या फिर यश
फिर भी
वह
मनुष्य है सम्पूर्ण
भावनाओं
कल्पनाओं
जिज्ञासाओं में
सत्य की खोज के लिए
अधिक सक्षम है
आज के मानव से
क्योंकि
वह
मुक्त है
सहज ही।
शशि महाजन