Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2024 · 1 min read

मनुष्य को विवेकशील प्राणी माना गया है,बावजूद इसके सभी दुर्गु

मनुष्य को विवेकशील प्राणी माना गया है,बावजूद इसके सभी दुर्गुण उसके भीतर हैं,उसका चेहरा चिन्ताओं से ढका रहता है, उसमें समस्त दोष और दुर्बलताएँ हैं,उसके भीतर दूसरों के प्रति घृणा भरी रहती है,गद्दारी केवल मनुष्यों का लक्षण है,बाकी प्राणियों में वह नहीं पाई जाती, जिन्हें आमतौर पर बुद्धि-विवेक से रहित माना जाता है,
विवेकवान मनुष्य में आखिर वे दुर्गुण क्यों दिखाई पड़ते हैं,जो जंगली जानवरों तक में नहीं पाए जाते? क्या इसके पीछे किसी अलौकिक ताकत की रचना और विश्वास है? क्या ऐसा इसलिए कि सर्वशक्तिमान की महान विशेषताओं सम्बन्धी उसकी कल्पना अनुचित और पाखंड है, यदि हम यह समझने और पता लगाने में असमर्थ रहते हैं कि इस दुरावस्था के वास्तविक कारण क्या हैं,यदि हम उसके समाधान के लिए उपयुक्त सुझाव नहीं दे पाते;फिर हमारे विवेक की उपयोगिता ही क्या है.?.
…..” जनता “

4 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
Saraswati Bajpai
कलकल बहती माँ नर्मदा
कलकल बहती माँ नर्मदा
मनोज कर्ण
कोश़िश
कोश़िश
Shyam Sundar Subramanian
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सब वक्त का खेल है।
सब वक्त का खेल है।
Lokesh Sharma
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
shabina. Naaz
संत हृदय से मिले हो कभी
संत हृदय से मिले हो कभी
©️ दामिनी नारायण सिंह
एक नस्ली कुत्ता
एक नस्ली कुत्ता
manorath maharaj
सबसे ऊंचा हिन्द देश का
सबसे ऊंचा हिन्द देश का
surenderpal vaidya
अब कहने को कुछ नहीं,
अब कहने को कुछ नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
DrLakshman Jha Parimal
वो परिंदा, है कर रहा देखो
वो परिंदा, है कर रहा देखो
Shweta Soni
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
Priya princess panwar
रिश्ता है या बंधन
रिश्ता है या बंधन
Chitra Bisht
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
कवि दीपक बवेजा
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
नाइजीरिया में हिंदी
नाइजीरिया में हिंदी
Shashi Mahajan
ख़ुद ब ख़ुद
ख़ुद ब ख़ुद
Dr. Rajeev Jain
नारी शक्ति
नारी शक्ति
लक्ष्मी सिंह
अभी तो वो खफ़ा है लेकिन
अभी तो वो खफ़ा है लेकिन
gurudeenverma198
प्यारी सुबह
प्यारी सुबह
Santosh kumar Miri
काँच और पत्थर
काँच और पत्थर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
पुरोवाक्
पुरोवाक्
Rambali Mishra
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
Ashwini sharma
कुछ भी भूलती नहीं मैं,
कुछ भी भूलती नहीं मैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तेरे मेरे प्यार की कविता
तेरे मेरे प्यार की कविता
Laxmi Narayan Gupta
बोझ लफ़्ज़ों के दिल पे होते हैं
बोझ लफ़्ज़ों के दिल पे होते हैं
Dr fauzia Naseem shad
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
..
..
*प्रणय*
Loading...