मनुष्य और जानवर पेज ०५
मनुष्य अपने जीवन में कितना भी महान क्यों न बन जाये । जानवर के समान महान नही हो सकता है।आज भी अनेक मनुष्य और की विकास की गाथा जानवरो के द्वारा लिखी गई है। कोई उसके मांस को बेच कर अपना उदर पोषण कर रहा है। तो कोई उसकी खाल तो कोई उसकी हड्डियों को बेच कर अपना उदर पोषण कर रहा है। लेकिन जानवर यह सबकुछ सहन कर रहा है। अगर मनुष्य नाग की पूजा देवता मानकर उसे पूजता है। तब इसे मनुष्य का कोई मतलब जरूर था।पर। इसका रहस्य कोई नही जानता है। नाग देवता भारत में ही नहीं विदेशों में भी पूजे जाते हैं। मनुष्य के लिए जितने भी जानवर है । सभी पूजनीय है। लेकिन मनुष्य अपने अभिमान बस किसी को नहीं पूजना चाहता है।जब श्री लक्ष्मी जी ने भी जानवर का साथ लिया है। तभी वह मनुष्य तक पहुंच पाईं है। अगर किसी महान योद्धा या साधु संत या बुद्धि जीवी या पुरुषों में पुरुषोंतम की बात करते हैं।तो सभी एक चींटी से भी छोटे नजर आते हैं।