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23 Jun 2022 · 1 min read

मनुज हैं

देह मनुज पाई है हमने,
दनुज से कर्म क्यों करें।
प्यास बुझा न सकें अगर,
अंगार उनपर क्यों झरें।
तोड़ फोड़ से होड़ कैसी,
हो सके वतन पर ही मरें।
पशु नहीं मनुज हैं हम सब
कुछ पर उपकार भी करें।

-गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
1 Like · 159 Views
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