‘मनुज घातक कोविड से’
(1)
कोविड से तो डर रहे,करें वैक्सीन खोज।
विस्फोटक से मार रहे,चला शस्त्र हर रोज।
चला शस्त्र हर रोज,प्रजा करती त्राहिमाम।
शक्ति के घमंड में,सब सूने हो गए धाम।
समय खूब कट जाय,जुड़ जाओ प्रतिलेख से।
मन का बल जब बढ़े, फिर डर नहीं कोविड से।
(2)
कोविड से मानव मरे,परमाणु सर्व विनाश।
भीड़ भाड़ से तुम बचो,है बचने की आस।
है बचने की आस,अस्त्रों से बच न सकें ।
यदि हो गए दिव्यांग ,कर्म जीवन के सब रुकें।
पढ़ भुवन भूतकाल,गुन लो गहन विवेक से।
स्मृति रखो ये विचार,मनुज घातक कोविड से।