Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2020 · 3 min read

*”मनीप्लांट”*

“मनीप्लांट”
रोहित एक दिन कुछ ऑफिस के काम से विनोद के घर गया वहाँ उसने देखा आम के पेड़ पर मनीप्लांट बडी बडी पत्तियों में ऊपर चढने पर बेहद खूबसूरत दिख रहा था।
देखने में भी बहुत ही सुंदर लग रहा था रोहित ने कहा वाह यार तेरे घर तो खूब रुपये पैसे फल रहे हैं ….इस पर विनोद ने पूछा तुझे कहां से दिख रहा है अरे यार मैं तो मध्यम वर्गीय परिवार कर्मचारी हूँ मेरे पास इतने रूपये पैसे कहाँ है …..फिर रोहित ने कहा ये जो खूबसूरत मनीप्लांट की बेल आम पेड़ पर चढ़ी हुई है मैं उसे देखकर कह रहा हूँ।
कहते हैं कि जिसके घर में मनीप्लांट लगे रहता है उसके पास खूब पैसा होता है कभी धन दौलत की कमी नही रहती है तो तेरे घर पर तो बहुत सारे मनीप्लांट लगे हुए हैं चारों ओर फैले हुए है कुछ मुझे भी दान कर दे ,वैसे भी मैं ब्राम्हण हूँ दान करने से ये और अधिक फैलेगा …..दोनों दोस्त खूब हंसने लगे ऐसी कोई बात नहीं है ,रूपया पैसा ये सब हाथ का मैल है खाली हाथ आये हैं और एक दिन खाली हाथ चले जाना है।
विनोद कहने लगा तुझे मनीप्लांट लगाना है तो मेरे घर से चुरा कर ले जाना पड़ेगा क्योंकि मैं भी कहीं से किसी के घर से चुराकर लाया था ।यह लग गया और आम के पेड़ में आसानी से पनपने लगा है अब बहुत फैल गया है।
लोग कहते हैं कि ये मनीप्लांट ऐसे नही लगता है किसी के घर से ही चुराकर लाना पड़ता है।
कुछ समय तक ऑफिस की बातें करते हुए जब रोहित जाने लगा तो जाते समय विनोद ने एक डंगाल मनीप्लांट को तोड़कर उसे देने लगा तो रोहित बोलने लगा अरे यार मैं तो ऐसे ही कह रहा था ये लोगों की बनी हुई बातें हैं ऐसा कुछ भी नही है।
दरअसल मनीप्लांट की पत्तियां बहुत सुंदर होती है इसे कहीं भी बॉटल में डिब्बे में बगीचे में कहीं भी लगा दो जल्दी से पनप जाती है और एक खास बात यह है कि इसे मिट्टी में लगा सकते हैं और पानी भरकर बॉटल में भी रख सकते हैं।
रोहित कहने लगा ये मनीप्लांट दरअसल पैसा नही देता बल्कि हमें शुद्ध ऑक्सीजन देता है और छोटी सी पत्तियों को कहीं भी लगावो जल्दी लग जाती है और पनपने लगती है बेल फैलने लगती है बस उसे सहारा देने की जरूरत होती है।
प्रकृति के सभी पेड़ पौधे बड़े अलग अलग किस्म के होते हैं जो मन को शांत व सुखद अनुभव देता है।
बच्चों के पढ़ाई करते समय उस जगह पर बॉटल में पानी भरकर मनीप्लांट रख दिया जाए तो एकाग्रता बढ़ती है और देखने में भी सुंदर लगता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
रोहित ने अपने दोस्त को बहुत बहुत धन्यवाद देकर घर जाते ही उस मनीप्लांट की डंगाल को अपने बगीचे में लगा दिया और उससे जो पत्तियां निकलती उसे अलग अलग जगहों में बॉटल में डिब्बों में गमलों में आम पेड़ के नीचे लगा दिया था।
अब रोहित के घरों में भी ढेर सारे मनीप्लांट की बेल लग चुकी थी और सुंदर पत्तियों के साथ घर में सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था और बेटी के पढ़ाई वाले टेबल पर भी बॉटल में मनीप्लांट खूबसूरत सा दिखाई दे रहा था।
शशिकला व्यास✍️
????????????????????????

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुझमें मुझसा
मुझमें मुझसा
Dr fauzia Naseem shad
"भोर की आस" हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*निरोध (पंचचामर छंद)*
*निरोध (पंचचामर छंद)*
Rituraj shivem verma
सरपरस्त
सरपरस्त
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
sushil sarna
*अयोध्या के कण-कण में राम*
*अयोध्या के कण-कण में राम*
Vandna Thakur
हम भी बहुत अजीब हैं, अजीब थे, अजीब रहेंगे,
हम भी बहुत अजीब हैं, अजीब थे, अजीब रहेंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ शब्द
कुछ शब्द
Vivek saswat Shukla
तुम्हारा इक ख्याल ही काफ़ी है
तुम्हारा इक ख्याल ही काफ़ी है
Aarti sirsat
अकेला गया था मैं
अकेला गया था मैं
Surinder blackpen
वक्त आने पर सबको दूंगा जवाब जरूर क्योंकि हर एक के ताने मैंने
वक्त आने पर सबको दूंगा जवाब जरूर क्योंकि हर एक के ताने मैंने
Ranjeet kumar patre
कभी न खत्म होने वाला यह समय
कभी न खत्म होने वाला यह समय
प्रेमदास वसु सुरेखा
नाम में सिंह लगाने से कोई आदमी सिंह नहीं बन सकता बल्कि उसका
नाम में सिंह लगाने से कोई आदमी सिंह नहीं बन सकता बल्कि उसका
Dr. Man Mohan Krishna
"मौन"
Dr. Kishan tandon kranti
विषय मेरा आदर्श शिक्षक
विषय मेरा आदर्श शिक्षक
कार्तिक नितिन शर्मा
ये तुम्हें क्या हो गया है.......!!!!
ये तुम्हें क्या हो गया है.......!!!!
shabina. Naaz
" आज चाँदनी मुस्काई "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हिंदी दोहा-कालनेमि
हिंदी दोहा-कालनेमि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
#फर्क_तो_है
#फर्क_तो_है
*प्रणय प्रभात*
2865.*पूर्णिका*
2865.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डॉ. अम्बेडकर ने ऐसे लड़ा प्रथम चुनाव
डॉ. अम्बेडकर ने ऐसे लड़ा प्रथम चुनाव
कवि रमेशराज
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"होली है आई रे"
Rahul Singh
चाँद
चाँद
TARAN VERMA
सफल हुए
सफल हुए
Koमल कुmari
संसार है मतलब का
संसार है मतलब का
अरशद रसूल बदायूंनी
”ज़िन्दगी छोटी नहीं होती
”ज़िन्दगी छोटी नहीं होती
शेखर सिंह
ये अमलतास खुद में कुछ ख़ास!
ये अमलतास खुद में कुछ ख़ास!
Neelam Sharma
Loading...