मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाल डाल प्रीति रंग,
पोत पोत अंग अंग,
छान छान मग्न भंग,
स्नेह बरसाइये।
बोल बोल बोल बम,
ओम शंकराय नम,
नाच नाच भूल गम,
जिंदगी बनाइये।
सत्य शील भाव रम्य,
प्रीति वेश नित्य सौम्य,
शालिनी सुगंध भौम्य,
हर्ष गीत गाइये।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।