मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
प्रेम गीत गान करो,
राम राज्य ध्यान करो,
मातृ गंग स्नान करो,
पाप सर्व धोइये।
ब्रह्म बीज मंत्र जाप,
दिव्यता से काट ताप,
प्रेम से अनंत नाप,
स्नेह बीज बोइये।
सत्य शिव बखान हो,
संत मन जुबान हो,
प्रीति नित सयान हो,
मीठ शब्द बोलिये।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।