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27 Oct 2022 · 1 min read

मनहरण घनाक्षरी (मित्र इत्र )

मनहरण घनाक्षरी
स्वभाव का प्रभाव
****************
मित्र इत्र के समान,बंद करके न रखो,
थोड़ा सा भी खुला तो ,महकता अभी भी है

तोता बूढा हो चला तो,अंग थोड़े शिथिल हैं,
पर मौंका पड़ते,चहकता अभी भी है ।

मन मोर राम में रमा है राम की कृपा है,
बदली को देखके बहकता अभी भी है ।

ऊपर सफेदी देख,अंगारा बुझा सा लगे,
राख को हटाओ तो,दहकता अभी भी है।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
27/10/22

Language: Hindi
278 Views
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