मनहरणघनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
निशा
सुकोमल निशा नारी
सांवली सलोनी प्यारी
चाल मतवाली न्यारी
मन हर जाती है।
कलाधर संग आती
तारों को भी साथ लाती
नभ से उतर आती
क्रीडा कर जाती है ।
देह छाई तरुणाई
अरु कटी बलखाई
ग्रीवा अति मन भाई
अधर मुस्काती है।
कर सोलह सिंगार
लेके घोर अंधियार
पहन तारों का हार
पग मटकाती है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)