*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
17/12/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
साज बजे नव स्वर लहरी, पांचजन्य उद्घोष कर, देता है आदेश।
आज प्रात कुछ श्रेष्ठ करें, विगत विचारों से विलग, हो निर्मित परिवेश।।
देव सहायक हैं अपने, दूर विकारों से सजग, कहता भानु दिनेश।
आओ इस क्षण को जीकर, भरें नई उपलब्धियां, प्राप्त करें शैलेश।।
नवल सृजन की बेला में, आई है नवचेतना, उत्साहित हर अंग।
अच्छा करने का इच्छुक, पाँव बढ़ाता जा रहा, मन में लिए उमंग।।
कीर्तिमान स्वमेव बनते, सुदृढ़ रहे जब हौसले, बरसे खुशियाँ रंग।
चलो बढ़ें पुरुषार्थ करें, समय अविस्मरणीय हो, विजयी हों इस जंग।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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