*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
15/12/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
जीवन का यह सूत्र समझ, पहले लघु फिर गुरु बनो, कहते हैं आचार्य।
लघुतम बनना जान सखा, सेवाओं में दे समय, वेद वचन कर धार्य।।
जिसने लघुत्व जान लिया, क्रमशः आत्मिक वृद्धि का, करता जाता कार्य।
गुरु बनना है सदा कठिन, उस गुह्यतम को जानना, है नितांत अनिवार्य।।
गुरु ज्ञानी एकत्व शिखर, दिव्य पुंज आध्यात्म का, निज का हो पहचान।
आवेशित परमेश्वर से, बुद्धि शुद्धि उपलब्ध जो, विमल कुंज सद्ज्ञान।।
लघुता का सम्मान करे, प्रभुता का पथ दान दे, रचता भाव विधान।
जो सद्गुरु की शरण मिले, धन्य स्वयं को जानिए, गुरुवर कृपानिधान।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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