*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
14/12/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
मैं न थकूँगा कभी कहीं, मंजिल को पाये बिना, लूँगा नहीं विराम।
मैं अवश्य छू पाऊँगा, कीर्ति ध्वजा जो हैं गगन, दुनिया करे सलाम।।
सदा प्रवाहित गंगाजल, ज्यों निर्मल पावन रहे, मैं वह अक्षरधाम।
कमी नहीं है प्रयास में, एक मंत्र हर श्वास में, करता प्राणायाम।।
आओ हम सब चलें जहाँ, केवल खुशियाँ जागती, कभी न लें विश्रांत।
छोटे सपने मत देखो, इस पर कंजूसी नहीं, कर न सके मन क्लांत।।
समय गँवाओ मत प्यारे, जो भी बाकी है समय, चलो लक्ष्य प्रिय प्रांत।
धैर्यशील मन मोद भरो, कदम बढ़ाओ आज ही, त्याग सभी हिय भ्रांत।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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