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9 Dec 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
09/12/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

प्रेमपूर्ण उपहार मिला, दिव्य अविस्मरणीय पल, बंध हुआ मजबूत।
आज भावनाएँ उमड़ी, छलक पड़े अँसुवन नयन, दृश्य सजल उद्भूत।।
काव्य विधा के साधक ही, सच्चे अर्थों में मनुज, विमला मातु सपूत।
धन्यवाद के प्रणम्य स्वर, मुदित सहृदयता बढ़ी, नवल स्वप्न आहूत।।

एक नया उद्देश्य मिला, सपने होंगे साकार भी, हुआ मुझे आभास।
ऐसा लगता है मुझको, इसी सुखद परिवार हित, करना विमल प्रयास।।
छंदाधिपति की लीला, विचित्रता से है भरी, मेरी है अरदास।
सबके हिय अनुराग भरे, काव्य कला कौशल मिले, सफलीभूत कयास।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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