*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
29/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
संबंधों को जो जी लें, एक यज्ञ पूरा किया, समय रहा जीवंत।
आदर्शों को रखता है, मिलता है अमरत्व पद, कभी न होता अंत।।
सृजनहार खुश होते हैं, मर्यादा पालन किया, कहलाते प्रिय संत।
कहानियां बन जाते वो, चंदा सूरज की तरह, यशस्वान श्रीमंत।।
जिनकी पढ़ते कहानियां, उसने जो कुछ है सहा, वह प्रेरक बोधव्य।
सभी समस्याओं का हल, निश्चित होता उस समय, करना है ज्ञातव्य।।
अनुकरणात्मक पथ कर लो, मन से व्रत पालन करो, कुछ भी नहीं अश्रव्य।
यहाँ यही जीवनशैली, जो अपनाया जब कभी, वही हुआ दृष्टव्य।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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