*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
26/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
किसका चुनाव लोग करें, समझदार दिखते सभी, आकर गिरते पाँव।
हर कोई दावा करता, सेवा मेरा धर्म है, विकसित होगा गाँव।।
पिकनिक तीरथ ले जाते, खर्चे करते अनगिनत, खेले अपनी दाँव।
मतदाता बेवकूफ हैं, आते उनकी चाल पर, ठूँठ कहाँ दे छाँव।।
सेवा भी व्यवसाय बना, विज्ञापन भी खूब हो, खर्चे करें वसूल।
ये अवसर ही तलाशते, मिल जाये गद्दी इन्हें, इनका एक उसूल।।
आज बने हैं संस्कारित, कल तक जो अनभिज्ञ थे, लड़ते आज फिजूल।
जीत गये तो राजा हैं, हार गये तो रोड में, होते नष्ट समूल।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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