*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
24/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
कितने अच्छे लोग यहाँ, रहते थे इस गाँव में, दिल के बड़े दयालु।
यदाकदा आती विपदा, सेवा करते बैठकर, रहते महा कृपालु।।
अब वो सारे चले गये, उनकी यादें शेष हैं, आस्तिक ईश श्रद्धालु।
पड़ती है अब जिधर नजर, एक दूसरे को देखते, बनकर सभी शंकालु।।
विलय हुआ हर गाँव अभी, सभी शहर बनने लगे, गुम है अपना गाँव।
लोग गये जो कल तक थे, बदल गई हैं पीढ़ियां, बात बात में दाँव।।
वट नीम उजड़ते देखे, हर घर पहुँचे केकटस, खोये शीतल छाँव।
नई आधुनिकता छाई, बदल चुकी है सभ्यता, है अजीब हर ठाँव।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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