*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
16/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
भारतीय छंदों की है, मनमोहक गति गेयता, लय सुंदर मधुकोष।
मात्रात्मक संयोजन प्रिय, अति दुर्लभ रस मापनी, गाती है मधुघोष।।
जो भी गाता सुनता है, रसानंद में डूबता, मन में भरता तोष।
लौकिक वैदिक छंदों की, अब तक है महिमा महा, कहते सब निर्दोष।।
जैसे हरि जी अनंत हैं, वैसे ही अपने छंद हैं, पावन गंग समान।
ऋषि पिंगल की देन यही, आदि विरासत को नमन, ऋषियों का वरदान।।
इसी छंद को लिखकर सब, महाकाव्य रचना किये, अब तक साक्ष्य निशान।
आओ इनका ध्यान करें, और करें अभ्यास भी, कब तक रहें अजान।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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