*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
02/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
चाहत होती सदा बड़ी, मिलता है जिस योग्य हो, करते रहे विलाप।
अपनी योग्यता बढ़ाने में लग जा मेरे मित्र तू, छोड़ विगत संताप।।
सपने भी सच होते हैं, जरा जागकर देख ले, कोशिश करो अमाप।
सिर्फ मेहनत करनी है, अपने वश में भाग्य कर, जाग दिवस अरु रात।।
मेरा स्वभाव अलबेला, धरती से छूना गगन, करता हूँ अभ्यास।
यूँ नहीं रूक जाऊँगा, उड़ जाये जो फूँक में, मैं वह नहीं कपास।।
मेरी चाहत हो पूरी, लगा हुआ दिन रात मैं, करता सतत कयास।
मेरा सर्जक महान जब, मैं महान कैसे नहीं, यही अटल विश्वास।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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