*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
25/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
मुझको छूना मुश्किल अब, द्रुतगामी रफ्तार है, कोशिश करो हजार।
ये मेरा प्रण सुनो सखा, सदा रहूँगा शीर्ष पर, सफल कर्म आधार।।
जो भी करता पूर्ण करूँ, नहीं अधूरा छोड़ता, उत्साहित हर बार।
अद्वितीय रहना जग पर, सीखा है मैंने यही, सपने सब साकार।।
जाना है गुरुमंत्र यही, उन्मादी रह कार्य पर, करना सद्उपयोग।
सीमित साधन में रहकर, असिमित को पाना मुझे, मिले सफलता जोग।।
मुझको मेरी मंजिल से, नहीं पदच्युत कर सके, मिलकर सारे लोग।
है अनंत ऊर्जा मन में, नहीं असंभव कुछ यहाँ,
खुशियाँ मोहनभोग।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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