*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
15/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
महज दिखावा शेष रहा, सत्य बिलखता है पड़ा, नजर नहीं उस ओर।
मिथ्या भाषण मन भाते, सत्य कहीं दिखता नहीं, मन में बैठा चोर।।
दुख का कारण झूठ रहा, पर कोई माने कहाँ, हुआ झूठ से भोर।
अगर सत्य कह दें कोई, बंद कराते शीघ्र ही, खींचे सारे डोर।।
सत्य उजागर होता है, आज नहीं तो कल कभी, मत रह लापरवाह।
नहीं देखता है कोई, कभी नहीं तू सोचना, रखता सत्य निगाह।।
हैअक्षम्य सदा जानो, इसका प्रायश्चित करो, होता अगर गुनाह।
झूठ बोलकर कहते हो, हरिश्चंद्र औलाद हूँ, नहीं कमाना आह।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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