*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
25/08/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
साँसों के हर मनके में, जपता तेरा नाम हूँ, करता एकालाप।
यादों में छाये रहते, मन से मन का हो रहा, अद्भुत मिलन अमाप।।
मनमोहक बातें तेरी, साम्राज्ञी चितवासिनी, अमिट पड़ी है छाप।
मेरा परिचय तुमसे है, अंकशायिनी हे प्रिये, क्षुब्ध सभी अनुताप।।
महा लक्ष्य को छूना है, साथ अगर दे दो प्रिये, मिले हर्ष समवेत।
सपने सच ही करना है, प्रेरणीय हो सर्वदा, रच देते शुभ नेत।।
संबंधों की मर्यादा, पालन भी करना हमें, प्रकृति करे संकेत।
सदा जगाकर ही रखना, जब भी आये आपदा, होंगे सदा सचेत।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)