*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
28/01/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
मेरे मन की भी सुन लो, कहने को बेताब हूँ, अवसर दो सरकार।
रोज यहाँ पर आता हूँ, हालचाल हूँ देखता, लगते बड़े लबार।।
अनदेखा करते आये, सबको मौका दे रहे, मुझको दो इक बार।
करनी कथनी में अंतर, कहता तिल मैं ताड़ हूँ, बदले रंग हजार।।
इंसानों के दंगल में, रहा उपेक्षित जो सदा, उसका करो निदान।
विद्रोही मत बन जाये, फूटे जब ज्वालामुखी, होंगे पथ वीरान।।
मानो उनकी बात कभी, मिले उसे सम्मान भी, बने नया पहचान।
हितकारी बनना चाहे, बैठाओ अब सामने, तभी मिले उत्थान।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)