*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
19/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
हे प्रभु मेरे परमात्मा, अगर छुड़ाना चाहते, छुड़ा जगत का बंध।
अगर मिटाने की इच्छा, माया से मन मुक्त कर, मिटा मोह की गंध।।
अगर बुझाना है तुमको, पंचविषय की अग्नि को, बंद करो हर संध।
अगर प्यार आता मुझपर, आओ मेरे सामने, सिर टिकाऊँ स्कंध।।
हर घमंड़ को तोड़ अभी, मैं अभिमानी बन गया, कहता यह संसार।
मुझे मृत्यु की गोद मिले, दुनिया से मन भर गया, तू मेरा आधार।।
दमित भावनाएँ रोती, सत्य समझ में आ गया, मतलब के सब यार।
यहाँ नहीं रह पाऊँगा, पास बुलालो राम जी, सब लगता बेकार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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