*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
11/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
हाँ हाँ करते रहते हो, देते मुझको कुछ नहीं, चक्रवृद्धि है ब्याज।
ब्याज अगर देते रहते, हल्का पड़ता कुछ तुम्हें, देने होंगे आज।।
तुम शराब जो पीते हो, उसको ही लेते बचा, बच जाती यह लाज।
सोचो समझो और करो, और रहम कितना करूँ, लत से आओ बाज।।
कर्ज भरा जीवन तेरा, ध्यान करो नर बावरे, अब तो सोच विचार।
जिससे यह जीवन पाया, बुद्धिमान बनता फिरे, सब कुछ लिया उधार।।
प्रकृति सदा तुझको देती, उसके ही प्रतिकूल चल, जीता रहा गँवार।
ये तेरा सौभाग्य समझ, तूने पाई चेतना, खुद को अभी सँवार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)