मधुशाला -नया अवतार
मधुशाला – नया अवतार
नहीं जरूरत अस्पताल की, बंद रखो भी पठशाला।
दवा खिला कर के क्या होगा, होंठ लगा दारू प्याला।।
देखो क्या देंगे विद्यालय, कॉलेज के क्या लाभ भला ;
शिक्षित जन चढ़ बैठेगे फिर , ला भी देंगे धन काला।।
नहीं जरूरत अस्पताल की, बंद रखो भी पठशाला।
गुटखा गांजा पूंजी देते, वोट दिलाये मधुशाला।।
है किसान मजदूर निरक्षर, जब तक है अक्षर काला।
टूटी हुई कमर जनता की, चक्कर में इनको डाला।।
हुए जागरूक जिस दिन सब जन, नेताओं की बढ़े बला;
संसद का घेराव करें ये, नेताओं पे दें भाला।
नहीं जरूरत ……….
गुटखा गांजा ………
जाति वर्ण धर्म मजहब के, बना रखो भी भ्रमजाला।
भेदभाव जब तक जन-जन में, घोल सकें नफरत घाला।।
अगर एक हो गए सभी तो, पाला कैसे बदलेंगे ?
लड़ जाएंगे ये सत्ता से, वोट बैंक में भी ताला।।
नहीं जरूरत ………..
गुटखा गांजा ………..
जब तक चलती, रहो चलाते, मतलब का पकड़ो पाला।
अरे! देश से है क्या मतलब, बहने दो कीचड़ नाला।।
जब तक रहे नशे में जनता, चिंता की कोई बात नहीं;
सच्ची राह बताने वाला, कहलाये ‘कौशल’ काला।
नहीं जरूरत ………..
गुटखा गांजा ………..
©कौशलेन्द्र सिंह लोधी ‘कौशल’