मधुर संगीत की धुन
गीतिका
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सभी कुछ भूलकर अपनी ही धुन में डूबते जाना।
मधुर संगीत की धुन पर सभी को झूमना गाना।
पुराने वाद्य यन्त्रों के बहुत शौकीन हैं अब भी।
जमाना आज भी इनका बना है खूब दीवाना।
बजाती ढोल तन्मयता से देखो खो गई गोरी।
इसी का नाम है जादू सभी के मन बहुत भाना।
जरूरी जिन्दगी में है रहे सुर ताल में जीवन।
बहुत है कीमती इसको हमें हर हाल में पाना।
कभी इससे बहुत आनंदमय पल हो नहीं सकते।
कदम आगे बढ़ाकर है सभी को नित्य मुस्काना।
नहीं अब देखना पीछे कदम आगे बढ़े जब हैं।
मुहब्बत में कभी भी कष्ट से घबरा नहीं जाना।
समय जब भी मिले हमको बढ़ाएं हर कदम आगे।
रचें मिलकर बहुत ही खूबसूरत एक अफसाना।
सुखद वातावरण बनता नगाड़े ढोल जब बजते।
थिरक जाना खुले मन से कभी बिल्कुल न घबराना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य