मधुमास
जीवन में मधुमास बने तुम ,
पतझड़ जब भी आया है
पीड़ा जब जब हुई दानवी
अधरों ने तुमको गाया है।
कहने वाले कहते हैं
तुमको पाना कठिन बहुत है,
हमने जब भी भीतर देखा
तुमको ही बस पाया है।।
जीवन के मधुमास बने तुम ,
पतझड़ जब भी आया है ।
जब से चलना सीखा मैंने
तब से गिरना साथ हुआ
ठोकर जब भी खाई मैंने
धीर हुए तुम अंतस मेरे
रंगों का अंबार जहां
प्रवंचना का साया है
तुम रंगों का कारण साथी
मैंने तो फागुन गाया है
जीवन के मधुमास बने तुम,
पतझड़ जब भी आया है।
क्षुद्र, हेय और तुच्छ समझता
जीवन के सुंदर सावन में
बनकर नदिया भागा हूं
पारवार तब पाया है
जग कहता परिवर्तित होता
नित, जो भी जग में आता है
तुमको जब से जाना प्रियवर
चिर बसंत फिर पाया है
जीवन के मधुमास बने तुम ,
पतझड़ जब भी आया है।
मुस्कान तुम्हारे होंठों की
जीवन का आधार बना
पाकर संबल तेरा मैंने
हर दुष्कर आघात सहा
जड़ बनकर वह शिखर बना
मन ही मन इठलाया है
मैंने खुद को नदी बनाया
तब सागर को पाया है
जीवन के मधुमास बने तुम ,
पतझड़ जब भी आया है।।