मधुमास
वरदायिनी मां शारदे,
दया दृष्टि हम सब पर करे।
जड़ता हो दूर मन की,
ज्ञान उर में हमारे मां भरे।
शुभ आगमन वसंत का,
उल्लासित हिय को करे।
नव किसलय नव कलिकाओं मे,
जीवन उन्माद दिखे।
पीली सरसों ने फूल कर,
ऋतु का है स्वागत किया।
वृक्षों ने नव पल्लवों से,
श्रृंगार वसुधा को है दिया ।
सज उठी है प्रकृति भी,
आगंतुक के इंतजार में।
वसंत भी मुस्कुरा उठा,
प्रकृति के सौम्य व्यवहार पे।
उदित दिव्य वातावरण में,
नदियों ने वीणा को स्वर दिया ।
वसंत के आगमन से मुदित,
पक्षियों ने मधुर कलरव किया।
प्राकट्य उत्सव मातु शारदा का,
नव जीवन का संचार करे।
वसंत आकर पावन सृष्टि के,
कण कण में मादक मधु भरे।
शुष्क हुई धरा में फिर से,
सुखद अनुभूति,आह्लाद छाया है।
वर्ष बीते गया था प्रिय वसंत,
लौट कर फिर आज आया है।
स्वरचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश