*मधुमास* -ॠतुराज बसंत
मधुमास-ॠतुराज बसंत
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चूनर ओढ़ कर पीली-पीली ,
आज धरा शरमायी है ।
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हर्षित है चहुं ओर दिशा,
कलियों पर छायी तरुणाई है।
ऋतुराज की मोहक छवि पर
वसुधा अधीर इतरायी है ।
चूनर ओढ़ कर पीली- पीली
आज धरा शरमायी है ।।
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सौन्दर्य अलौकिक अनुपम है
हर भाव बसे अब प्रियतम हैं
आज बासंती चोला पहने
मस्त हवा बौरायी है ।
चूनर ओढ़ कर पीली-पीली
आज धरा शरमायी है ।।
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बसंत राज ने छेड़ दिए हैं,
प्रेम-गीत के मीठे तान
रंग-बिरंगे फूलों पर यौवन
झूम उठी हर डाली है ।
चूनर ओढ़ कर पीली-पीली
आज धरा शरमायी है।।
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प्रीत के रंग में रंग गयी सृष्टि
घुला है हर रंग में मधुमास
प्रियतम तुम भी अब आन मिलो
चहुँ ओर बजी शहनाई है ।
चूनर ओढ़ कर पीली- पीली
आज धरा शरमायी है ।।
पल्लवी रानी
मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र