मधुमक्खी
छत्ते भरते मधु सहज,मधुमक्खी का काम |
चूस चूस मकरंद को,शहद बनाती आम|
शहद बनाती आम,कभी बच्चे मत भूलें|
मधुमक्खी सब एक,नहीं बच्चे जो छू लें |
कहें प्रेम कविराय, मेहनत करते जत्थे |
बने संगठन एक, शहद से भरते छत्ते |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम