Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2024 · 1 min read

मदिरा सवैया

मदिरा सवैया

देखत सावन मस्त हुआ मन बादल प्यार लुटावत है।
घोर घटा उमड़ी घुमड़ी नित बारिश नीर गिरावत है।
नाचत मोर उठावत पंख सदा हरि का गुण गावत है।
मानव प्यार समुद्र बना अपने उर में सुख पावत है।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 65 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
स्वास्थ्य विषयक कुंडलियाँ
स्वास्थ्य विषयक कुंडलियाँ
Ravi Prakash
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
"चाँद को देखकर"
Dr. Kishan tandon kranti
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
Lokesh Singh
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*प्रणय*
गज़ल
गज़ल
Mamta Gupta
मूल्य मंत्र
मूल्य मंत्र
ओंकार मिश्र
विधाता
विधाता
seema sharma
मुक्तक... छंद मनमोहन
मुक्तक... छंद मनमोहन
डॉ.सीमा अग्रवाल
आज रविवार है -व्यंग रचना
आज रविवार है -व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
बैकुंठ चतुर्दशी है
बैकुंठ चतुर्दशी है
विशाल शुक्ल
गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
पंकज परिंदा
“कवि की कविता”
“कवि की कविता”
DrLakshman Jha Parimal
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
Raju Gajbhiye
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
श्री कृष्ण अवतार
श्री कृष्ण अवतार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कैक्टस
कैक्टस
Girija Arora
स्टेटस
स्टेटस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बेरोजगारी
बेरोजगारी
साहित्य गौरव
रूप मनोहर श्री राम का
रूप मनोहर श्री राम का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
तुम्हारे पापा ने
तुम्हारे पापा ने
Nitu Sah
4946.*पूर्णिका*
4946.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
Manoj Shrivastava
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
होते हैं हर शख्स के,भीतर रावण राम
होते हैं हर शख्स के,भीतर रावण राम
RAMESH SHARMA
घनाक्षरी छंद
घनाक्षरी छंद
Rajesh vyas
Loading...