मदिरा सवैया
मदिरा सवैया
प्रेम परायण श्याम वही प्रिय सुन्दर मोहक भाव रखे।
स्नेहिल मित्र बना सबका वह मोदक माखन नित्य चखे।
जागत सोवत नित्य प्रसन्न सदा दिल से मधु वाक्य भखे।
सेवत प्रीति अमूल्य सुधा हर मानव में अनुराग लखे।
कवि रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।