मदारी या फ़रेबी – डी के निवातिया
मदारी या फ़रेबी
***
मदारी हर दफ़ा कोई नया खेला रचाता है
फँसाकर जाल में अपने हमें बुद्धू बनाता है
सुई की छेद में हाथी घुसाता है सुना हूँ मैं
मदारी या फ़रेबी है जो चतुराई दिखाता है
***
स्वरचित : डी के निवातिया
मदारी या फ़रेबी
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मदारी हर दफ़ा कोई नया खेला रचाता है
फँसाकर जाल में अपने हमें बुद्धू बनाता है
सुई की छेद में हाथी घुसाता है सुना हूँ मैं
मदारी या फ़रेबी है जो चतुराई दिखाता है
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स्वरचित : डी के निवातिया